योग से पाएं सुन्दर, तरोताज़ा और खूबसूरत चेहरा

योग से पाएं सुन्दर, तरोताज़ा और खूबसूरत चेहरा

योग गुरु सुनील सिंह

आज की तनावग्रस्त परिस्थितियों में भी अपने स्वास्थ्य व सौन्दर्य को बांये रखने के लिए, रोगों से मुक्ति पाने के लिए, कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए, व्यक्तित्व निखारने के लिए, चरित्र विकास के लिए और सकारात्मक विचारों को बढ़ाने के लिए योग को अपनाना सुरक्षित एवं विश्वसनीय मार्ग है।

आज के जब महिलाओं पर घर और बहार दोहरी जिम्मेदारी आ गयी यही तो उसे शारीरिक व मानसिक संतुलन को बनाये रखने के लिए मन को शांत व  शक्तिशाली बनाने के लिए योग का अभ्यास आवशयक हो गया है। चेहरा महिलाओं के शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। अक्सर पाया जाता है कि महिलाएं अपनी सुंदरता को लेकर सजग रहती हैं। वह अपने चेहरे का खास ख्याल रखती हैं। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ त्वचा में प्राकतिक निखार व चिकनाई कम होने लगती है, जिससे त्वचा में रूखापन आ जाता है। मानसिक तनाव, चिंता- फ़िक्र, अधिक शारीरिक श्रम, आहार में पोषक तत्वों की कमी, और अनिंद्रा के कारण चेहरे पर झुर्रियां पद जाती हैं। कभी-कभी वातावरण में प्रदूषण, लम्बी बीमारी, चेहरे पर कॉस्मेटिक उत्पादों का अत्यधिक प्रयोग और अंधाधुंध डाइटिंग का सहारा भी त्वचा की चमक और निखार को प्रभावित कर देता है।

योग की कुछ क्रियाओं द्वारा चेहरे पर चमक और निखार वापस लाया जा सकता है और दाग दब्बे, झाइयां, झुर्रियां और कालेपन को दूर किया जा सकता है।

इसलिए आज हम आपको इस आलेख में योग की कुछ क्रियाए बताएंगे जो कि आपके चेहरे के निखार को बनाए रखने के लिए सहायक होंगी।

1- कपोल शक्ति विकासक की पहली क्रिया

सुखासन या पद्मासन (आराम से पैरो को मोड़कर बैठना) में बैठ जाए। दोनों हाथों की आठों अंगुलियों के आगे के भाग को आपस में मिलाकर दोनों अंगूठे से दोनों नाकों के छिद्रों को बंद कर लें। फिर अपने मुंह को कौवे की चोंच की भांति बनाकर मुंह द्वारा सांस को सुर-सुर की आवाज के साथ भीतर की ओर खींचे। फिर दोनों अंगूठों से नाक के छिद्रों को बंद कर लें और अपने गालों को गुब्बारा नुमा फुलाए और अपनी क्षमता अनुसार सांस रोककर और फिर धीरे-धीरे दोनों नाक के

 छिद्रों से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे नाक से सांस निकाल दें। यह इस क्रिया का एक चक्र है। इसको कम से कम 20 बार करें।

2-कपोल शक्ति विकासक की दूसरी क्रिया

सुखासन या फिर पद्मासन में बैठ जाएं। फिर अपने मुँह को इस प्रार चलाएं जैसे कि गाय या भैंसे खाना खाने के बाद जुगाली करती हैं। इस क्रिया को कम से कम दो बार जरूर करें।

3- कपोल शक्ति विकासक की तीसरी क्रिया

पहले वाले आसन की मुद्रा में बैठ जाएं। इस क्रिया में अपने दोनों हाथों की अंगुलियों से अपने गालों को लगातार थपथपाते हैं। इस क्रिया को उसी प्रकार करते हैं, जिस प्रकार हम दुलार से किसी को तमाचा मार रहे हो। इस क्रिया को रोज 5 मिनट जरूर करें।  राजकुमारी डायना भी इस क्रिया का अभ्यास रोज करती थीं।

4- कपोल शक्ति विकासक की चौथी प्रक्रिया

इस क्रिया में हम अपनी गर्दन को पीछे की ओर मोड़कर और फिर अपने नीचे वाले होंठ को ऊपर वाले होठ से छूने का प्रयास करते हैं और कुछ देर इसी अवस्था में रुकते हैं और फिर धीरे-धीरे वापस सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। कम से कम 10 बार इस क्रिया का अभ्यास करते हैं।

5- पांचवी मुद्रा उदान

उसी आसन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों की तीनों अंगुलियों (तर्जनी अंगुली को छोड़कर) बाकी अंगुलियों को अंगूठे की टिप से आपस में मिलाते हैं। इस प्रकार यह मुद्रा उदान कहलाती है। इसका अभ्यास कम से कम 5 मिनट तक रोज करें।

6- कपोल शक्ति विकासक की छठी क्रिया

दोनों अंगूठे को पूरी तरह मुंह के अंदर इस तरह डालें कि वह ऊपर के जबड़ों औऱ ऊपरी होठों से लगे। होठों को फैताएं जिससे कि मांसपेशियों में खिचाव महसूस हो, अब होठों को बंद करके दवाब दें। इस क्रिया का अभ्यास कम से कम 5 बार करें।

7- कपोल शक्ति विकासक की सातवीं क्रिया

भौहों को जितना हो सके उतना ऊपर चढ़ाएं और चौड़ा करें। कुछ देर इसी तरह रहे फिर आरामदायक स्तिथि में आ जाएं। इस प्रक्रिया को कम से कम 5 बार करें।

8- सिंह आसन आठवीं विधि

वज्रासन (पैरों को मोड़कर घुटनों के बल बैठना) में बैठकर घुटनों को थोड़ा खोलकर रखें। हाथों की अंगुलियों को शेर के पंजे के समान खोलकर दोनों घुटनों पर रखें। सांस अंदर भरकर जीभ को भर निकालिए और फिर सांस को छोड़ते हुए शेर की जैसी गर्जना करें। इस क्रिया में मुंह ज्यादा से ज्यादा खुला होना चाहिए। जीभ अधिक से अधिक बाहर निकली होनी चाहिए। गले की मांसपेशियों में तनाव लाएं। इस आसान का अभ्यास भी कम से कम 3 बार करें।

9- शंशकासन नौवी प्रक्रिया

भूमि पर व्रजासन में बैठ जाएं। गहरी सांस लें और हाथों को बांह के ऊपर की ओर ताने।  अब सांस छोड़ते हुए कमर से झुके, हथेलियों को जमीन पर लगाए।  माथे को भी जमीन पर सटाएं और कुछ देर इसी अवस्था में रुकें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं। इस आसान का अभ्यास कम से कम 5 बार करें (कमर दर्द , हृदय रोगी इसका अभ्यास न करें।)

10- हास्य योग

जब समय मिले खूब जोर से हंसो, खुलकर हंसो इतना हंसो की आँखों से आंसू आ जाए। क्योंकि हंसने के दौरान जिस्म की सभी 600 मांस-पेशियों की एक साथ कसरत होती है। हंसने से हमारा इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है। ठहाका लगाकर हंसने से फेफड़ों में ज्यादा ऑक्सीजन आ जाती है, रक्त शुद्ध होता है. चेहरा गुलाब की तरह खिल जाता है।

(यह आलेख योग गुरु सुनील सिंह द्वारा लिखी गयी किताब से साभार लिया गया है। इस किताब को आप www.dpb.in से खरीद सकते हैं।) 

इसे भी पढ़ें-

कैंसर मरीज़ों को भी चमत्कृत कर रहा है योग!

ये ऐप बताएगा योग केंद्र और प्रशिक्षकों का पता                                                                                               

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।